आल्हा ऊदल की कथा भारत के प्रायः समस्त अंचलों में प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ में भी आल्हा गायन के प्रति लोकप्रियता रही है, इसकी लोकप्रियता का कारण आल्हा ऊदल की वीरता के साथ ही उसका स्नेह भी है।
आल्हा गायन क्या है – what is alha singing
आल्हा गायन में बुंदेलखंड के दो भाई आल्हा और ऊदल के वीरता कि कहानियो को गया जाता है। इसे उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के साथ साथ बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में गाया जाता रहा है।
आल्हा कब गाया जाता है? – When is Alha sung?
आल्हा गायन बरसात के दिनों में गांव के चौपाल आदि स्थानों पर गाया जाता रहा है ताकि बरसात में वर्षा अच्छी हो और सूखे के दिनों में यह नाट्य रूप धारण कर लेता है।
घोडवा नाच क्या है – what is horse dance
आल्हा ऊदल छत्तीसगढ़ के अधिकांश अंचलों में घोडवा नाच के नाम से प्रसिद्ध है, क्योंकि इसमें आकर्षण का प्रमुख केन्द्र कमची और रंगीन कागज से बना घोड़ा रहता है, जिसे कमर में डाल कर पात्र नाचता है। उसकी कमर के उपर का हिस्सा वीर योद्ध के भाति दिखता रहता है।
नर्तक स्वयं गाकर अपना संवाद करता है। प्रस्तुतियों में यह ढोला मारू की गाथा से पर्याप्त मेल रखता है। इसका प्रमुख वाद्य यंत्र नंगाडा या मृदंग होता है। इसकी फड़फड़ाती आवाज से घुड़सवार ताल पर नृत्य करने लगता है। इसकी प्रस्तुति में वीर और श्रृंगार रस की प्रमुखता होती है।
कौन हैं आल्हा ऊदल? – Who is Alha Udal?
आल्हा ऊदल दो भाई बुंदेलखंड के वीर योद्धा जिनका जन्म लगभग सन् 1140 के आसपास हुआ था इनके पिता का नाम दसराज था। कहा जाता है कि आल्हा ऊदल उस समय धरती के सबसे बड़े योद्धा थे, दोनों भाइयो ने अपने जीवनमें 50 से भी अधिक लड़ाईयां लड़ी थी।
विलुप्त होती आल्हा गायन की परंपरा – The dying tradition of singing Alha
सरकार द्वारा आल्हा गायन कि इस ऐतिहासिक कला को अंतर्राष्ट्रीय रूप से बढ़ावा नहीं मिलने के कारण धीरे धीरे अंचल में आल्हा गायन की परंपरा लगभग खत्म होती जा रही है जिससे यह गीत कुछ लोगों सीमित रह गई है। जो कि चिंतनीय है।
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