पाण्डेय बंशीधर शर्मा द्वारा रचित ‘हीरू के कहिनी’ छत्तीसगढ़ी भाषा का पहला उपन्यास है। पाण्डेय बंशीधर शर्मा ने ‘हीरू के कहिनी’ के माध्यम से छत्तीसगढ़ के तत्कालीन ग्रामीण जन-जीवन का जीवंत चित्रण किया है।
उपन्यास क्या है – what is novel
उपन्यास शब्द बंगला भाषा से लिया गया है इसके माध्यम से किसी के जीवन कथा या कहानी के द्वारा जीवन से जुड़ी समस्याओं एवं उनके प्रश्नो के उत्तर ढूंढने का प्रयास किया जाता है
छत्तीसगढ़ का पहला उपन्यास – Chhattisgarh’s first novel
छत्तीसगढ़ में उपन्यास का उद्भव 1926 में पांडेय बंशीधर शर्मा द्वारा रचित ‘हीरू के कहिनी’ से माना जाता है। यह छत्तीसगढ़ी भाषा का पहला उपन्यास है इसे सदरी कोरबा छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखा गया है। इसका प्रथम प्रकाशन सन 1926 में हुआ था।
यानी आज से करीब 97 साल पहले महानदी के आंचल में इस साहित्य को लिखा गया था। यह वह समय था, जब देश भर में विभिन्न राज्यों की आंचलिक भाषाओं में राष्ट्रीय जागरण की रचनाएं लिखी और छापी जा रही थी।
कहानी का उदेश्य – purpose of the story
पाण्डेय बंशीधर शर्मा ने ‘हीरू के कहिनी‘ के माध्यम से छत्तीसगढ़ के तत्कालीन ग्रामीण जन-जीवन का जीवंत चित्रण किया है। गरीबों के जीवन-संघर्ष को उजागर किया गया है और यह भी बताने का प्रयास किया है, कि राजा (शासक) और जनता के बीच कैसे रिश्ते होने चाहिए।
इस उपन्यास का दूसरा संस्करण 74 साल बाद सन 2000 में छत्तीसगढ़ के जिला मुख्यालय रायगढ़ में प्रकाशित हुआ।
पाण्डेय बंशीधर शर्माजन्म- Pandey Banshidhar Sharma Birth
पाण्डेय बंशीधर शर्मा छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध इतिहासकार लोचन प्रसाद पाण्डेय और प्रसिद्ध कवि मुकुटधर पाण्डेय के मंझले भाई थे। इनका जन्म 1892 ई. में हुआ था पाण्डेय परिवार के लोग महानदी के तटवर्ती ग्राम बालपुर के निवासी थे।
उपन्यास का नायक हीरू छत्तीसगढ़ अंचल के निवासियों धनी – निर्धन, शिक्षित-अशिक्षित, परंपरावादी और प्रगतिशील का प्रतिनिधि चरित्र है।
देवगढ़ धाम छत्तीसगढ़
सभी प्रकार के पात्र उपन्यास में मौजूद हैं। उपन्यास बहुरंगी ग्रामीण जीवन की समग्रता को समेटे है अंग्रेजों द्वारा किया जा रहा शोषण आम जनता में व्याप्त असंतोष जन जागरण के प्रयास और स्वाधीनता आंदोलन की ऊहापोह वायु की भांति पूरे उपन्यास में फैली है
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