देवगढ़ जिसके नाम से ही स्पष्ट होता है देवो का गढ़(घर) यह एक पुरातात्विक और धर्मिक स्थल के साथ साथ एक प्राकृतिक स्थल भी है प्रचीन समय में इस स्थान पर बहुत से ऋषि मुनि ध्यान और ताप किया करते थे, इसके साथ ही देवगढ़ को जमदग्नि ऋषि और उनके पुत्र परशुराम जी का तपोभूमि भी कहा जाता है।
देवगढ़ कहा है ? – Where is Devgarh?
देवगढ़ छत्तीसगढ़ राज्य के अम्बिकापुर जिले से लगभग 50 कि.मी एवं सूरजपुर से 40 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यह एक पुरातात्विक और धर्मिक स्थल के साथ साथ एक प्राकृतिक स्थल भी है।
देवगढ़ में भगवान श्री राम का आगमन – Arrival of Lord Shri Ram in Deogarh
रेण नदी के किनारे बसे होने के कारण यहां का वातावरण प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। जब भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास में थे तब वनगमन करते हुए नदी मार्ग से देवगढ़ आये थे उस समय यह स्थान दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था।
देवगढ़ का प्राचीन शिव मंदिर – Ancient Shiva Temple of Deogarh
प्राचीन समय में इस स्थान पर एक भव्य शिव मंदिर हुआ करता था जिसमे 11 शिवलिंग हुआ करते थे जिसमे वर्तमान समय में केवल कुछ ही शिवलिंग बचे हुए है।
देवगढ़ में स्थित प्रचीन शिव मंदिर को दसवी से ग्यारहवी शताब्दी के बीच बनवाया गया था, मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग के मध्य भाग पर शक्ति स्वरुप पार्वती जी नारी रूप में अंकित है, इस लिए अर्धनारीश्वर स्वरूप में इस मंदिर को गौरी शंकर मंदिर भी कहते है।
पुरातात्विक अवशेष – archaeological remains
यहां के अन्य दर्शनीय स्थलों में कई मंदिरो के भग्नावशेष मौजूद है जैसे गौरी शंकर मंदिर, रामेश्वर मंदिर, आयताकार शैली में स्थापित शिव मंदिर, आदि पुरातात्विक महत्व के अनेक कलात्मक मूर्तियां हैं। मंदिर के आसपास प्राचीन मंदिरों और मूर्तियों के अवशेष आज भी देखे जा सकते है।
जमदग्नि ऋषि का आश्रम – Ashram of sage Jamdagni
देवगढ़ प्राचीन काल में ऋषि यमदग्नि और उनके पुत्र परशुराम जी की साधना स्थली रही है। परशुराम जी के माता रेणुका के नाम पर इस नदी का नाम रेण नदी पड़ा
देवगढ़ का मेला – Fair of Deogarh
घने जंगलों के बीच होने के कारण यहां का वातावरण प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है पर्यटकों का यहां वर्ष भर आना- जाना लगा रहता है। यहां प्रत्येक वर्ष श्रावण के महीने में शिवलिंग में जलाभिषेक करने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते है इसके साथ ही महाशिवरात्रि और सावन माह में यहाँ विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे लाखो भक्तों की विशेष भीड़ देखी जा साती है । पर्यटकों का यहां वर्ष भर आना- जाना लगा रहता है।
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